tag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post6261828113944872318..comments2022-11-23T02:38:50.676-08:00Comments on आँखें खोलो हिंदुओं: हिन्दू संगठन: दिशाहीन व लक्ष्यहीनprakharhindutvahttp://www.blogger.com/profile/06759795008994768937noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-84524800065163016102012-01-12T10:48:54.194-08:002012-01-12T10:48:54.194-08:00ullu ke patthe tu andha hai.tujhe nahi pata hindus...ullu ke patthe tu andha hai.tujhe nahi pata hindustan her dharm,sanskriti or vicharo ka sangam hai.<br />abe kodi,kutte ke sade hua kaan ke keede<br /> teri maa ko aaj bhi peschatap hoga tujhper,hindustan ki bhumi ka ek veerhttps://www.blogger.com/profile/06255092828184686548noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-59599946736922254282012-01-12T10:48:49.597-08:002012-01-12T10:48:49.597-08:00ullu ke patthe tu andha hai.tujhe nahi pata hindus...ullu ke patthe tu andha hai.tujhe nahi pata hindustan her dharm,sanskriti or vicharo ka sangam hai.<br />abe kodi,kutte ke sade hua kaan ke keede<br /> teri maa ko aaj bhi peschatap hoga tujhper,hindustan ki bhumi ka ek veerhttps://www.blogger.com/profile/06255092828184686548noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-37307118047364738282012-01-12T10:46:27.215-08:002012-01-12T10:46:27.215-08:00ullu ke patthe tu andha hai.tujhe nahi pata hindus...ullu ke patthe tu andha hai.tujhe nahi pata hindustan her dharm,sanskriti or vicharo ka sangam hai.<br />abe kodi,kutte ke sade hua kaan ke keede<br /> teri maa ko aaj bhi peschatap hoga tujhper,hindustan ki bhumi ka ek veerhttps://www.blogger.com/profile/06255092828184686548noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-85371245158808452462008-10-24T22:05:00.000-07:002008-10-24T22:05:00.000-07:00आप अच्छा लिखते हैं पर आप के लेखन मैं जो कङवाहट दिख...आप अच्छा लिखते हैं पर आप के लेखन मैं जो कङवाहट दिखाई देती है बह हिंदुत्व की निशानी नहीं हैं...मुझे भी वे हर चीज बुरी लगती है जो इस देश धर्म संस्कृति के विपरीत हैं पर इसका विरोध हम शालीनता से करेंगे तो निश्चित रूप से बहुत से लोगों को साथ ले पायेंगे...अन्यथा ईस्लाम का विनाश ही मेरा लक्ष्य ....इस तरह की भाषा देशद्रोहियों को ही मजबूत करेगी...उन्हें राष्ट्रवादियों पर अंगुली उठाने का मौका मिलेगा...हिंदु किसी के खिलाफ नहीं हैं..इस्लाम के भी नहीं और न ही ईसाईयों के बशर्ते की वे इस भारत मां को अपनी मातृभूमी माने और यहां की संस्कृति का सम्मान करें...और करते भी हैं कुछ सिरफिरे देशद्रोही ही ऐसा नहीं करते ...सो बंधु आशा है आप मेरी प्रार्थना स्वीकार करेंगे और अपना ई मैल भी डालें प्रोफाइल मैं..और ये बर्ड वैरिफिकेशन भी हटायेंdrdhabhaihttps://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-70815896986986852272008-10-22T11:19:00.000-07:002008-10-22T11:19:00.000-07:00talk to me on my personl email id- bhaweshjha@yaho...talk to me on my personl email id- bhaweshjha@yahoo.com<BR/><BR/>i hv der some stuff for u<BR/>tk crAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-22367727111641752042008-10-21T06:51:00.000-07:002008-10-21T06:51:00.000-07:00अगर आज मुसलमानो के बीच मुहम्मद जैसा कोई आ जाए तो व...अगर आज मुसलमानो के बीच मुहम्मद जैसा कोई आ जाए तो वो उसे मार डालेगे- क्योकी वह परम्परा से विरोध करेगा जिसे उनका संगठन स्वीकार नही करेगा। अगर ईसाईयो के बीच आज ईसा जैसा कोई आ जाए तो वो उसे मार डालेगे क्योकी वह उनकी जडता पर चोट करेगा। हिन्दुत्व संगठन द्वारा संचालित धर्म नही है - यह इसकी खुबशुरती है। आने वाला प्रबुद्ध पुरुष हमारे बीच ही आएगा मुझे पुरा विश्वास है । लेकिन संगठीत धर्मो द्वारा निरंतर किए जा रहे आक्रमण से हिन्दुत्व नाम की इस शानदार जीवन पद्धति की रक्षा कैसे करे ? यह यक्ष प्रश्न है आपके सामने .............Himwanthttps://www.blogger.com/profile/15073248042334425850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-23134301441856345112008-10-21T06:32:00.000-07:002008-10-21T06:32:00.000-07:00हिसा बन्द होनी चाहिए। क्योकी यह हमारे धर्म का स्वभ...हिसा बन्द होनी चाहिए। क्योकी यह हमारे धर्म का स्वभाव नही है। सही कहा......... लेकिन कही न कही वे संगठन भी ठीक है - क्योकी धर्मानतरण हिसा है और उससे ही यह हिसा पैदा हुई है। स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या कर चर्च ने हिसा की पहल की। हम सब को अपनी अपनी जगह से अपने अपने तरीके से धर्म सेवा मे लगना चाहिए। अगर आपको लगता है की कुछ हिन्दु संगठन हिंसा फैला कर गलत कर रहे है तो आप एक और हिन्दु संगठन खडा कर मलहम लगाने पहुचिए। लेकिन यह आत्म निन्दा बन्द किजीए।Himwanthttps://www.blogger.com/profile/15073248042334425850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-40951424631726326992008-10-21T06:22:00.000-07:002008-10-21T06:22:00.000-07:00हिन्दुत्व सनातन काल से इसलिए शुरक्षित है क्योकी यह...हिन्दुत्व सनातन काल से इसलिए शुरक्षित है क्योकी यह किसी संगठन के द्वारा संचालित नही है। क्योकी जहां संगठन है वहां विक़ृति आती हीं है। हिन्दुत्व मे आस्था रखने वाला व्यक्ति जानता है की वह ईश्वर का अंश है। वह परम सत्य शाक्षात्कार आत्मनुभुति से कर सकेगा। न की किसी पैगम्बर या संगठन की शरणागति से। अगर हम धर्म रक्षा के लिए किसी संगठन पर आश्रित हो जाएंगे तो मामला बिगड सकता है। इसलिए हरेक इकाई को जगना होगा। जाग्रत उठीष्ट ।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/08946569807621097540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-51675991967011244142008-10-20T22:53:00.000-07:002008-10-20T22:53:00.000-07:00सच्ची बाते लिखी है सेकुलरो को बेनकाब करने का जरुरत...सच्ची बाते लिखी है सेकुलरो को बेनकाब करने का जरुरत है। <BR/><BR/>लगे रहोchandanhttps://www.blogger.com/profile/04636996419465895539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1629977906422155336.post-14212828529890271652008-10-20T22:22:00.000-07:002008-10-20T22:22:00.000-07:00हिंदू क्या है पहले आप इसे जाने फिर हिंदू संगठन पर ...हिंदू क्या है पहले आप इसे जाने फिर हिंदू संगठन पर विचार करें .आज यह जाति वाद और राजनीति का शिकार हो गया है यह अपने मूल अस्तित्व मे दिख नही रह पा रहा है .या यो कहें की हिंदुत्व के अस्तित्व पर ही संकट आने का समय आता जा रहा है .1. हम हिंदू हैं। प्राचीन काल से हिन्दुस्थान में रहते आए हैं। हमारा महाविशाल समाज है। इसमें विभिन्नताएँ होंगी, किन्तु हम सब एक हैं। पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक यह हमारा देश है। इस देश और समाज से हमारी श्रध्दा संबध्द है। लोग हिंदू की व्याख्या पूछते हैं। मैं तो कहूँगा कि हम हिंदू हैं और हम जिसे कहेंगे वह हिंदू है। जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य के समान हमें भी शंख फूँककर कहना होगा कि जिसके कान में शंखध्वनि पड़ी, वह हिंदू हो गया। आज तो हम इतना ही जानते हैं कि हम हिंदू हैं। हमारी समान श्रध्दाएँ हैं, परंपराएँ हैं, श्रेष्ठ महापुरुषों के समान जीवन आदर्श हैं |<BR/><BR/>2. एक हजार वर्ष पूर्व यहाँ हिंदू के अतिरिक्त किसी दूसरे का नाम तक नहीं था। अनेक पंथ, संप्रदाय, भाषाएँ, जातियाँ, राज्य रहे हों, किंतु सब हिंदू ही थे। शक, हूण, ग्रीक आदि आए, किन्तु उन्हें हिंदू बनना पड़ा। वे हमें भ्रष्ट करने में असफल रहे। बल्कि हमने ही उन्हें पूर्णरूपेण आत्मसात् कर लिया। पहले जहाँ सब ओर हिंदू ही थे, वहाँ आज हमारे ही अंग-प्रत्यंग को खाकर हमारे समाज से अलग होकर अपना प्रसार करनेवाले कई कोटि अहिंदू हैं। इस दृष्टि से हिंदू समाज का ह्रास क्या हमारी ऑंखों के सामने है?<BR/><BR/>3. 'हिंदू' के सम्बन्ध में कुछ लोग घिसे-पिटे पुराने आरोप दोहराते रहते हैं। आरोपों को सुनकर अपने समाज के लोग घबराते भी हैं। इस राष्ट्रजीवन को किसी अन्य पर्यायी शब्द से बोलने के लिये लोग सलाह भी देते हैं। परंतु क्या पर्याय लेने से मूल अर्थ बदलेगा? जैसे हमारे आर्यसमाजी बंधु कहते हैं कि आर्य कहो। 'आर्य' का भी मतलब वही निकलेगा। कुछ लोग 'भारतीय' शब्द का प्रयोग करने की बात कहते हैं। 'भारत' को कितना ही तोड़-मरोड़कर कहा जाए तो भी उसमें अन्य कोई अर्थ नहीं निकल सकता। अर्थ केवल एक ही निकलेगा 'हिंदू'। तब क्यों न 'हिंदू' शब्द का ही असंदिग्धा प्रयोग करें। सीधा-सादा प्रचलित शब्द 'हिंदू' है।<BR/><BR/>4. हिंदू शब्द हमारे साथ विशेष रूप से हमारे इतिहास के गत एक सहस्र वर्षों के संकटपूर्णकाल से जुड़ा रहा है। पृथ्वीराज के दिनों से लेकर हमारे समस्त राष्ट्र-निर्माताओं, राज्य-वेत्ताओं, कवियों और इतिहासकारों ने 'हिंदू' शब्द का प्रयोग हमारे जन-समाज और धर्म को अभिहित करने के लिये किया है। गुरु गोविन्दसिंह, स्वामी विद्यारण्य और शिवाजी जैसे समस्त पराक्रमी स्वतंत्रता-सेनानियों का स्वप्न 'हिंदू-स्वराज्य' की स्थापना करना ही था। 'हिंदू' शब्द अपने साथ इन समस्त महान जीवनों, उनके कार्यों और आकाँक्षाओं की मधुर गंध समेटे हुए है। इस कारण यह एक ऐसा शब्द है जो संघ-रूप से हमारी एकात्मता, उदात्तता और विशेष रूप से हमारे जन-समाज को व्यंजित करता है।<BR/><BR/>5. यह हिंदूराष्ट्र है, इस राष्ट्र का दायित्व हिंदू समाज पर ही है, भारत का दुनिया में सम्मान या अपमान हिंदुओं पर ही निर्भर है। हिंदूसमाज का जीवन वैभवशाली होने से ही इस राष्ट्र का गौरव बढ़ने वाला है। किसी के मन में इस विषय में कुछ भ्रांति रहने का कारण नहीं है। इस देश में अनादि काल से जो समाज-जीवन रहा है, उसमें अनेक महान व्यक्तियों के विचार, गुण, तत्व, समाज-रचना के सिध्दांत तथा जीवन के छोटे-छोटे सामान्य अनुभवों से जीवन-विषयक एक स्वयंस्फूर्त स्वाभाविक दृष्टिकोण निर्माण होता है। वह सर्वसाधारण दृष्टिकोण ही संस्कृति है। यह संस्कृति अपने राष्ट्र की जीवन-धारणा है, विश्व की ओर देखने की पात्रता देनेवाली प्रेरणा-शक्ति है, एक सूत्र में गूँथनेवाला सूत्र है। भारत में आसेतु हिमाचल यह संस्कृति एक है। उससे भारतीय राष्ट्रजीवन प्रेरित हुआ है। इन दिनों संस्कृति के नवतारुण्य को प्राय: 'पुनरुज्जीवनवाद' और 'प्रतिक्रियात्मक' होने की उपाधि दी जाती है। प्राचीन पूर्वाग्रहों, मूढ़ विश्वासों अथवा समाज विरोधी रीतियों का पुनरुज्जीवन प्रतिक्रियात्मक कहा जा सकता है, कारण कि इसका परिणाम समाज का पाषाणीकरण (फॉसिलाइजेशन) हो सकता है। किन्तु शाश्वत एवं उत्कर्षहारी जीवन-मूल्यों के नवतारुण्य को प्रतिक्रियात्मक नाम दे देना बौध्दिक दिवालियापन प्रकट करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।Dharmayanhttps://www.blogger.com/profile/05158359187541424742noreply@blogger.com