गुरुवार, 6 नवंबर 2008

मीडिया का सच

राष्ट्रभक्तों,

आज कुछ लोगों को मैंने दबी आवाज़ में साध्वी और ले. कर्नल श्रीकान्त की प्रशंसा करते सुना। सुनकर एक हर्षानुभूति हुई। थोड़ी आशा का संचार हुआ। हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का दृढ़ संकल्प कुछ और पक्का हुआ। और लगने लगा कि अब धर्म निरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव जैसी विषैली भावनाओं का अन्त भी समीप आ गया है। देर से ही सही पर यह बात हमारे हिन्दू भाइयों की बुद्धि में आई तो। नहीं तो बेचारे गाँधी के पाखण्ड को ही सच माने बैठे थे।

फिर भी इन मीडिया वालों को समझ नहीं आई। आए भी तो कैसे? लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की नींव खोदने का बीड़ा भी तो देश की ज़ड़ें खोदने वाले सच्चे मुसलमानों ने उठा रखा है। इसलिए ये हमेशा तत्पर रहते हैं कि किसी तरह सही ख़बर को आम आदमी से दूर रख सकें। थोड़ा सा तोड़ मरोड़ कर पेश कर सकें ताकि विश्व का नज़र में हमारे सनातन धर्म को घसीट कर अपनी आतंकवादी क़ौम के स्तर पर ला सकें। जी हाँ मै सच कहता हूँ।

क्या आप लोग जानते हैं कि जो आतिफ़ आमीन नामक सच्चा मुसलमान 19 सितम्बर 2008 को जामिया नगर मुठभेड़ में मारा गया था उसका सगा भाई राग़िब आमीन न्यूज़ एक्स (आईएनएक्स ग्रुप) में सीनियर कैमरामैन है? वो कितना ज़हर फैला सकता है हमारे देश के प्रति क्या आपने कभी सोचा है?

कभी आपका ख़ून खौला जब ये मीडियाकर्मी आरोपी साध्वी को ‘उस’ और ‘इस’ जैसे सर्वनामों से अपमानित करते हैं? और तो और ये लोग दाऊद और अबू सलेम जैसे घोषित अपराधियों के नामों को बड़े आदर के साथ लेते हैं।

देर बहुत हो चुकी है। अब तो समझ जाइए। मैं जानता हूँ कि हमारे लोग जागने लगे हैं। हमारी सेना जागने लगी है। हमारी सोच जागने लगी है। हमारी चेतना जागने लगी है। अत: समय नष्ट करने की बजाय एक झटके में अपनी आँखों पर बँधी समानता और सौहर्द्र की पट्टी उखाड़ फेंको तभी हमारा विश्व विजय का निश्चय, हिन्दू राष्ट्र का संकल्प सिद्ध हो पाएगा।

भारत माता की जय!!

मेल करें: matribhoomibharat@gmail.com

मंगलवार, 4 नवंबर 2008

क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रवर्तक साध्वी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा का लाई डिटेक्टर टेस्ट हुआ। तीन दिन चले इस टेस्ट में पुलिस को हाथ लगी तो केवल नाकामी। मीडिया में बैठे तमाम सेक्युलरवादियों ने खबर चलाई कि ये साध्वी का सम्मोहन था। वह शायद तंत्र मंत्र जानती है। वह शायद जादू टोना करती हैं। इसीलिए तो अपना ‘जुर्म’ नहीं कुबूला। अरे साध्वी जी आपने क्यों नहीं कहा कि बम विस्फोट आपने ही करवाया था। देखिए बेचारे कितने अमर सिंह, लालू यादव, राम विलास पासवान, शरद पवारों की भावनाएँ आहत हुईं। कितने तौक़ीर, असलम, इस्माइल, अली, मुहम्मद, यूसुफ़, यूनिस, अकरम चकरमों के चेहरे जो अब तक ख़ुशी से चमक रहे थे आज मायूस हैं। आप क्यों नहीं समझती कि आपके इस रवैये से इसलाम ख़तरे में आ गया है?भई हमें तो यही सीख मिली है अपने गुरुजनों से, माता पिता से कि अगर तुम्हारे साँस लेने से भी मुसलमान को अगर दिक्कत हो तो थोड़ी देर रुक जाओ। सालों से हमें जो एकता और सौहार्द्र की घुट्टी पिलाई गई है ये उसी का नतीजा है। इन देशद्रोहियों के लिए प्यार पनपाने के लिए हमारे घरों में जो सीख दी जाती है उसी की वजह से हम इस क्रान्तिकारी साध्वी की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा करने में अक्षम हैं। धर्म निरपेक्ष दल, साम्यवादी और देशद्रोही मुसलमान हर तरह का प्रपंच कर रहे हैं किस क्रान्ति को हिन्दू आतंकवाद का नाम देकर हमारे धर्म को इतिहास में कलंकित कर दें।

हिन्दू संगठन किंकर्तव्यविमूढ़ हैं। भाजपा भी गद्दारों के वोट पाने के लिए कुछ भी नहीं बोल रही। हिन्दू राष्ट्र के लिए कार्यरत होने का दावा करने वाला संघ भी इस मामले से पल्ला झाड़ रहा है। न तो पुलिस हमारे लिए है, न ही कोई राजनीतिक दल, न मीडिया। ऐसी स्थिति में एक ही विकल्प बचता है। स्वयम् अपनी रक्षा करें। अपने देश की रक्षा करें। अपने समाज की रक्षा करें। यह विद्रोह नहीं आत्मरक्षा हेतु महायज्ञ है। इसमें अगर अपना सर्वस्व भी होम करना पड़े तो करो।
चाहे जहाँ भी हो वहाँ कोशिश करो हिन्दुत्व के प्रचार प्रसार की। इसलाम के विनाश की। हिन्दुओं में एकता की, सद्भाव की। तभी हम इस देशद्रोह की महफ़िल को मातम में बदलने में कामयाब हो पाएँगे। भारत माता की जय!!