शनिवार, 25 अप्रैल 2009

साँईं बाबा: धार्मिक पाखण्ड का दूसरा नाम

देशभक्तों,

हमेशा ही हमारी हिन्दू कौम भोली रही हो ऐसा नहीं है। हिन्दू इतना स्वार्थी भी है कि अपने जरा से स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी को भी भगवान मान सकता है। किसी किसी कीभी आराधना शुरू कर सकता है। किसी भी ऐरे गैरे के प्रति अपनी आस्था प्रकट कर सकता है। ऐसे में उसे देश हित, धर्म हित की कोई चिन्ता नहीं रहती। वह अपने मतलब के लिए किसी को भी सन्त मान कर भगवान बना सकता है।

कोई जरा सा चमत्कार क्या दिखा दे वह भगवान माना जाने लगता है। आधुनिक काल में लोगोंने साँईं बाबा को ही भगवान मान लिया। और साँईं के जीवन काल से लेकर आज तक उनकी दुकानबहुत बढ़िया चल रही है। अगर को हममें से कोई कहे कि मेरे घर की घरती पर कोई कदम रखेगा तो उसके दुख दर्द दूर हो जाएँगे, दुखियों के दुख मेरे घर की सीढ़ी पर पाँव रखते ही मिट जाएँगे और मरने के बाद भी मैं अपनी कब्र से क्रियाशील रहूँगा तो आप और हम सब हिन्दू उसे पाखण्ड मानेंगे। पर साँईं बाबा के इस पाखण्ड को सबने मान लिया और कुछ धर्मद्रोहियों ने तो उन्हें शिव और दत्तात्रेय का अवतार तक बना डाला। एक ऐसे व्यक्ति को बिठा कर मन्दिरों को भ्रष्ट जैसा जघन्य अपराध करने में लग गए। हम जानते हैं कि साँईं बाबा के माता पिता और उन्के जन्म का किसी को नहीं पता। साँईं ने पहले अपनी मार्केटिंग की, भक्त बनाए फिर भक्तों ने बाबा की मार्केटिंग की और बाबा सन्त से भगवान बना दिए गए।

अत: हे हिन्दुओं इस दिमागी दिवालिएपन और वैचारिक घटियापन से ऊपर उठो। देश को तुम्हारी आवश्यकता है। अगर कोई देवी है, कोई भगवान है तो वो सिर्फ़ भारत माता है। तुम्हें समय समय पर नए नए भगवानों की आवश्यकता रहती है पर उस देवी के प्रति कोई श्रद्धा नहीं कोई कृतज्ञता नहीं जो तुम्हें पीने के लिए पानी और साँस लेने के लिए हवा प्रदान करती है। ऐसी जीवनदायिनी माता को याद कर लो मुक्ति निश्चित है। किसी साँई और किसी बाबा की फिर कोई ज़रूरत नहीं।

भारत माता की जय!