गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

भारतीयता का शत्रु उपराष्ट्रवाद

वन्देमातरम्,

हे देशप्रेमियों इतने मैं आज बहुत समय बाद लेख लिखते हुए प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। मै हमेशा से मानता आया हूँ कि विचारों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति के लिए चिन्तन, मनन व अनुभव की गहन आवश्यकता होती है। और यदि इनमें से किसी भी चीज़ का अभाव हो जाए तो आदमी राहुल गाँधी और बाल ठाकरे जैसा छिछला हो जाता है और उसके विचार और भाषण उसी की तरह ओछे हो जाते हैं।

खैर हम अपने विषय की ओर बढ़ते हैं। उपराष्ट्रवाद हमारे देश के लिए इसलाम के बाद दूसरा बड़ा प्रश्न बन कर उभर रहा है। यह हमारी पवित्रतम मातृभूमि के प्रति उतना ही बड़ा अपराध है जितना कि मुसलमानों का इस धरा पर होना। साधारण व्यक्ति को पता ही नही कि आखिर ये उपराष्ट्रवाद है क्या, ये कहाँ से आया क्यों है औऱ देश को किस रास्ते ले जाएगा। मैं बताता हूँ। ये बड़ी बातें हो सकता ह कि आम समझ से परे हों लेकिन उदाहरणों से सब स्पष्ट हो जाएगा। कुछ बातें हम प्रायः सुनते है जैसे-

1.भगत सिंह को पंजाबियों द्वारा शहीदे आज़म बताया जाना।
2.मराठियों द्वारा वीर शिवाजी का गुणगान।
3.बंगालियों का नेताजी की वीरता का बखान।
4.तमिलों का अपनी भाषा और संस्कृति पर अत्यधिक गर्व।
अब आप कहेगे कि इसमें बुरा क्या है। इसमें कौन सी बात है जो कि देश के लिए खतरा बन सकती है। मैं कहता हूँ कि यह बहुत बड़ा खतरा है ठीक इसलाम की ही तरह। कैसे ये मैं बताता हूँ।

भगत सिंह, शिवाजी और नेताजी सुभाष निश्चय ही देश के महानतम सपूतों में से थे इनकी वीरता, शौर्य और देशभक्ति अभूतपूर्व थी। पर जब इन महापुरुषों का गुणगान लोग अपने क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए करते हैं तो यह उपराषट्रवाद कहलाता है। मान लीजिए कोई पंजाबी भगत सिंह को शहीदों का राजा बताए तो क्या कोई उत्तर प्रदेश वाला चन्द्रशेखर आज़ाद और राम प्रसाद बिस्मिल को दरबारी मान लेगा? या फिर नेता जी की वीरता की रट लगाने वाले बंगाली की बात मानकर कोई गुजराती सरदार वल्लभ भाई से ऊपर समझ लेगा? तमिल भाषा एक महान भाषा है पर इसका एक अर्थ क्या ये भी है कि हिन्दी और संस्कृत उससे कमतर हैं?
इसका एक उत्तर है नहीं। अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए हम अपने महापुरुषों को महान और सबसे महान बताते हैं और यह एक प्रतिक्रिया को जन्म देता है। एक औसी प्रतिक्रिया जिसमें एक क्षेत्र का व्यक्ति दूसरे क्षेत्र के महापुरुष पर कीचड़ उछालता है।
पर इतनी बात राज ठाकरे, बाल ठाकरे जैसे हिन्दुओं की समझ में नहीं आती तो राहुल की तो क्या कहें। आम हिन्दू जितनी जल्दी ये बात समझ ले उतना अच्छा।

भारत माता की जय!