सोमवार, 30 मार्च 2009

हिन्दू हित या स्वार्थसिद्धि?

देशप्रेमियों,

आज देश भर में वरुण गाँधी के बयान पर बवाल हो रहा है। कई लोगों की भावनाएँ आहत हुई हैं तो कई हिन्दू वरुण को हिन्दुओं का मसीहा मानने लगे हैं। पर इसे हिन्दू धर्म का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि हर नेता हिन्दू और उसकी भावनाओं का लाभ उठाना चाहता है। ऐसे में वरुण गाँधी जैसे ओछे रानेताओं की मंशा क्या होती है, मैं बताता हूँ।

क्या आप जानते हैं कौन हैं ये वरुण गाँधी? सिवाय इसके कि ये भी नेहरू गाँधी परिवार के कुलदीपक हैं। हम भी नहीं जानते। कौन हैं कहाँ से आए और क्यों भाजपा में इतनी सम्मान से लाए गए और तो और काडर की बात करने वाले आरएसएस की नागपुर बैठक मंच पर बैठाए गए? क्या वर्ष 2004 में अपनी माँ के चुनाव प्रचार और 2009 में पीलीभीत के अलावा बीच में आपने कभी इन्हें देखा? आप तो खुश हो गए उन्होंने गालियाँ दे दीं और वो भी निहायत ही घटिया लहजे में, घटिया भाषा का प्रयोग किया और सही मायने में अपने घर से मिले संस्कार दिखा दिए। जिस भाषण शैली का उन्होंने प्रयोग किया वो किसी प्रबुद्ध, संस्कारी हिन्दू की थी ही नहीं।




सच तो ये है कि वरुण जैसे नेता देश या धर्म की नहीं सोचते अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में लगे रहते हैं। देशद्रोह, गद्दारी और हिंसा तो मुसलमानों के रक्त में व्याप्त है वो अपने नैसर्गिक गुणों को नहीं त्याग सकता। ये तो अल्लाह का नूर है जो मुहम्मद के मुख से टपका है और मुसलमान उसे बटोर बटोर कर इंसानों तक पहुँचा रहे हैं। आतंकवाद एक आम मुसलमान का फुल टाइम जॉब है पर वरुण जैसे नेताओं को इसका ध्यान केवल चुनावी मौसम में आता है। तब कहाँ थे वरुण गाँधी जब 13 मई 2008 को जयपुर घायल हुआ था, अहमदाबाद में हिन्दू मरा था और बेंगलुरु रोया था? क्या उन्हें 13 सितम्बर को दिल्ली का क्रन्दन नहीं सुनाई दिया। तब इसलाम ने पशुता की सारी सीमाएँ लाँघ डाली थीं और वरुण गाँधी कहीं नहीं थे। वरुण तो वरुण हिन्दुत्व के महानायक नरेंद्र मोदी क्या कर रहे थे?

सच तो ये है कि जिसे तुमने तारणहार माना, जिससे आशा की उसी से धोखा मिला। पर अब समय है सोचने का और जानने का और वरुण जैसे स्वार्थी नेताओं की राजनीति को न चलने देने का। क्योंकि इससे नुकसान देशद्रोहियों को नहीं स्वयम् हिन्दुओं को है। हमारी लड़ाई मुसलमानों के विरुद्ध नहीं इसलाम के विरुद्ध है क्योंकि इसलाम देश का नासूर बन चुका है। साथ ही साथ वरुण जैसे नेताओं को भी समझा देना है कि हिन्दू किसी के हाथ की कठपुतली नहीं न ही वो वोट बैंक है। वो भारत माता का सच्चा सपूत है। जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए स्वयमेव सक्षम है। उसे वरुण गाँधी जैसे किसी विधर्मी की ज़रूरत नहीं

भारत माता की जय!

1 टिप्पणी:

Kapil ने कहा…

प्रखरजी, आपकी प्रखरता से प्रभावित हूं। थोड़ा और लाल रंग और गरमी की जरूरत है।