शनिवार, 25 अक्टूबर 2008

आतंकवाद नहीं आपद्धर्म है

मालेगाँव बम विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा की गिरफ़्तारी हुई, सेक्युलरवादियों की जान में जान आई, हिन्दुत्व को कोसने का एक बहाना मिल गया। हमारी सरकार को भी पहले ‘हिन्दू’ आतंकवादी को पकड़ कर एक गर्व की अनुभूति हुई। कथित बुद्धिजीवी और देशद्रोह को जनवाद व प्रगतिवाद नामों से अलंकृत करने वाले मार्क्सवादियों को मानो हिन्दुत्व घृणा प्रचार हेतु प्राणवायु मिल गई।

पर यह कैसे सम्भव है कि कोई हिन्दू आतंकवादी हो? अगर हिन्दू आतंकवादी होता तो हिन्दू हिन्दू न रहता। मुसलमान कहलाया जाता। मैं बताता हूँ क्यों। मुसलमानों के पास तो विकल्प है कि वो अपने 52 देशों में से किसी भी देश को चुन सकते हैं। उससे वफ़ादरी निभा सकते हैं। सऊदी अरब की तरफ़ नमाज़ के वक़्त सजदा कर सकते हैं। पर हम हिन्दू कहाँ जाएँगे? हमारा जीवन, हमारी मृत्यु, हमारी आस्था, हमारी गरिमा, हमारा स्वाभिमान, हमारा सम्मान, हमारा यश, हमारी कीर्ति, हमारा शरीर, हमारा मन, हमारी आत्मा, हमारा सर्वस्व सब इसी परम पावन मातृभूमि के साथ जुड़ा है। तो ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि कोई हिन्दू अपने ही देश में डर और अव्यवस्था फैलाए।

तो देशप्रेमियों मैं बताता हूँ। ये क्रिया की प्रतिक्रिया है, जैसे को तैसा, नहले पर दहला, ईंट का जवाब पत्थर से। ये आतंकवाद नहीं है प्रतिक्रियावाद है। इस देश के साथ पिछले 1000 वर्षों से मुसलमानों ने जो किया और करते जा रहे हैं ये उसका ही एक प्रतिफल है। ये आतंकवाद नहीं क्रान्ति का आह्वान है, महासंग्राम का शंखनाद है जो एक नारी ने किया है।

थोड़ा सोचिए! सैकड़ों तौकीर, अबू बशर, सलीम, अंसार, इफ़्तेख़ार, अफ़ज़ल हमारे बीच आज भी मज़े से घूम रहे हैं। हमारे निर्दोष लोगों को मार रहे हैं, अपंग बना रहे हैं। सरकार इनको पकड़ने की बजाय इनके सामने षाष्टांग प्रणाम कर रही है। हम क्या करें? हथियार उठाने के अलावा कोई और रास्ता बचता है क्या? साध्वी ने जो किया प्रतिक्रियावाद था। मैं तो कहूँगा आपद्धर्म है। यानी विपदा के समय अपनाया जाने वाला धर्म। हम सबको, पूरी कौम को यही धर्म अपनाना पड़ेगा। तभी हम इन देशद्रोहियों से पार पाने में सफल होंगे।

मेल सम्पर्क: matribhoomibharat@gmail.com

1 टिप्पणी:

कुन्नू सिंह ने कहा…

दिपावली की शूभकामनाऎं!!


शूभ दिपावली!!


- कुन्नू सिंह