दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के बाद दिल्ली पुलिस ने अब तक जो भी किया है वह निश्चय ही प्रशंसनीय है। हमने देखा किस तरह से एक एनकाउण्टर के दौरान इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने अपनी शहादत दी और कॉंस्टेबल बलवन्त राणा घायल हुए।
जामिया नगर(सराय दहशतग़र्द) में हुई मुठभेड़ ने देश की जनता में आशा का संचार किया। पर पुलिस को क्या मालूम था कि उसके केवल दो लोगों की वीरता से सारा इस्लाम ख़तरे में पड़ जाएगा। जब इमाम बुख़ारी साहब ने मारे गए आतिफ़ और साज़िद की कब्रों का सजदा किया तो उन्हें इलहाम हुआ कि वो दिल्ली पुलिस का षडयंत्र था। फिर उन्होंने मीडिया के सामने एक बयान दिया जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस पर ही शर्मा साहब की हत्या का आरोप लगा दिया। उनसे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है? अब पैग़म्बर मुहम्मद के बाद जो भी ख़लीफ़ा बना पिछले ख़लीफ़ा को क़त्ल कर के बना। ऐसे गिरोह... क्षमा कीजिएगा क़ौम के एक अदना से सिपाही से अच्छा सोचने की आशा रखना हमारी ही मूर्खता का परिचायक होगा।
अब बताइए क्या करे पुलिस? बम विस्फोट हो जाएँ तो आफ़त, आरोपी पकड़े जाएँ तो अलपसंख्यकों पर अत्याचार, मुठभेड़ में आतंकियों को मारे तो हत्यारी। ऊपर से आतंकवादियों पर दया दृष्टि रखकर मुसलमानों के वोट पाने की उम्मीद में बैठी सरकार। यानी कोढ़ में खाज।
ख़ैर हम बचपन से एक कहावत सुनते आए है- “हाथी चला जाता है कुत्ते भौंकते रह जाते हैं”। दिल्ली पुलिस ने तो अपना काम कर दिया अब बुख़ारी साहब अपना काम कर रहे हैं।
रविवार, 28 सितंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
मान्यवर, निःसंदेह आपका प्रयास प्रशंशानीये है. मातृभूमि का आपने अर्थ क्या लिया है ये आपके विवेक पर निर्भर करता है. मेरे विचार से भूमि समान माता की कोख से जो भी संतान पैदा होती है वो उसी माँ की संतान है ऐसा समझा जाना चाहिए. जिस प्रकार इस्लाम में इस्लामपरस्त हैं उसी प्रकार हिन्दुओ में विशुद्ध हिन्दुत्ववादी भी हैं. विवेकानंद ने कहा था की जो भी धर्म किसी दूसरे धरम को समाप्त करने का स्वप्न देखता है उसे समझना चाहिए की उसका अपना धर्म भी समाप्त हो सकता है. मैं आपके इस विचार का ह्रदय से समर्थन करता हूँ की हिन्दुस्थान का उद्धार हिन्दुस्थानियो द्वारा ही सम्भव है. हमें अपनी हिन्दुत्ववादी विचारधारा को सार्थक रूप से सामने लाना चाहिए. मुझे नहीं लगता की इस्लाम जैसा कुछ हज़ार वर्ष पुराना धर्म हमारे सनातन धर्म का शतांश भी है. इस्लाम धर्म या किसी भी दूसरे धर्म को मैं अपने सनातन, अविनाशी, अभेद्य और महान धर्म के समीप भी नहीं देखता. वास्तव में किसी भी धर्म की तुलना हमारे महान सनातन धर्म से नहीं हो सकती. इसीलिए यहाँ "प्रखर हिंदू" जैसे व्यक्तिवाचक शब्द की नहीं अपितु "प्रखर हिंदुत्व" जैसे विचारों की आवश्यकता है. आशा है आप मेरी भावनाओं को समझेंगे और सहज जीवन जीने का प्रयास करेंगे. -अमित माथुर (http://vicharokatrafficjam.blogspot.com)
mitra,
vicharon me santulan layen.
bharat ke sabhi hindu musalmano ko sahi nahi samjhte kyonki jo bhi atanvadi pakda jata hai wo musalman hota hai. maine aapke jaise bahut se vichar pade or sune lekin har hindustani ye sochta hai ki musalmano ko bharat se mitane ke liye pehla kadam kon uthayga sabhi hindu yahi sochte hain ki ek din aisa hona hi hai ki hindu muslim yudh hoga lekin iski pehel kon karega ye koi nahi janta aur na koshish ki jati hai. sab aapki tareh vichar de dete hain. batain kar dete hain. hamare neta log to vote ke pichhe hain hi lekin vhp aur dusre sangthan bhi kuch himmat nahi dikhate muslmano se panga lene ki ab ye sangthan bhi vote ke chakkar me pad gaye hain unhe bhi koi mantri banana hai naam karna hai. musamano se panga lene ka dam kisi me nahi. iski shuruwat jo karega wo hi bhagat singh kehlayga......!
एक टिप्पणी भेजें