बुधवार, 1 अक्टूबर 2008

विभीषण नहीं कृष्ण बनिए

मित्रों मुझे इस ब्लॉग को आरमभ करे मात्र कुछ ही दिन हुए हैं पर लोगों का ध्यान व उनकी टिप्पणियाँ प्राप्त होने लगी हैं। जिनको देखकर मैंने पाया कि बहुत कम हिन्दू ऐसे हैं जो इस ब्लॉग से प्रसन्न हैं। अन्य सभी ये मानते हैं कि मेरे विचार अतिवादी और सच्चाई से परे हैं। कइयों ने कहा कि क्रान्ति ब्लॉग के माध्यम से नहीं होती। मैं कहता हूँ हे जयचंदों! क्या आपने ही अपने धर्म के विनाश का ठेका ले रखा है? कुछ काम सच्चे मुसलमानों को भी तो करने दीजिए।

मैंने पांचजन्य और ऑर्गनाइज़र दोनों ही पढ़े हैं और पाया कि उनके आलेखों में वो जान, वो जज़्बा नहीं था। लेखनी जैसे विलाप कर रही थी। कभी मन्दिरों के तोड़े जाने का, कभी पाकिस्तानी हिन्दुओं की स्थिति का, कभी किसी संन्यासी की हत्या का और कभी धर्मांतरण का हवाला देकर दिन्दुओं को जगाने की नाकाम कोशिश की जा रही थी।

इसलिए मैंने जो आलेख इस ब्लॉग में प्रकाशित किए उनमें कहीं भी कोई आत्मदया का सुर नहीं था, बस सच था... वो सच जो हम वर्षों से नज़रन्दाज़ करते आए हैं... वो सच जो हमारे पूर्वजों ने नकारा और हानि उठाई। अब मैं लोगों को जगाने का काम कर लहा हूँ तो क्यों आपत्ति है, क्यों कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है?

मेरी जन्मभूमि पर अत्याचार हो रहा है तो मैं क्यों चुप रहूँ? मैं औरों की तरह अल्लाह के बन्दों के हाथों मरने नहीं आया। मैं किसी बम हादसे का भी शिकार नहीं होऊँगा। मैं किसी सरकार के हाथों की भी कठपुतली नहीं। मैं इतना निर्बल नहीं जो लोगों की टिप्पणियों से अपनी विचारधारा के मार्ग को परिवर्तित कर दूँगा। हो सकता है कि आज कुछ निर्जीव हिन्दुओं को मेरी बात का ‘लॉजिक’ न समझ में आए पर मैं आशान्वित हूँ कि भविष्य में ऐसा अवश्य होगा और तब इस देश की हिन्दू राष्ट्र की कल्पना साकार होगी। इसलिए हे मूर्खों अधर्म के इस युग में विभीषण मत बनो क्योंकि तुम जैसे घर के भेदियों से पहले ही हमारी मातृभूमि का सीना छलनी है।

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:,
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानम् सृजाम्यहम्
परित्राणाय साधूनाम् विनाशायच दुष्कृता
धर्मसंस्थापनार्थाय संभावामि युगे युगे”

2 टिप्‍पणियां:

pandit visnugupta ने कहा…

priy mitra,

ye kayar vern shankar hindu bhi vinash ke adhikari hai.....jab bat dharm ki ho to koi or karm shesh nahi rah jata .....tab sirf ek hi karm rah jata hai dharm yudhdh ...........mitra aap ek galati kar rahe hai jin logo ko aap hindu samjhane ki bhool kar rahe hai bo vernshankar hai arthat ashudhh hindu ....inake rakt main milavat hai..............

samay aa gaya hai 10 versh ke andar in kayar hinduo,kamyunisto,mlekcho,or esaio ko sabak shikha diya jaega ....or aane wale 50 versh ke andar inaka purnshanhaar ho jaega .....

or aap se ek anurodh hai priy mitra ki aap apani shabdavali se urdu ke shabdo ko nikal de.....dhanyabad priy mitra

Cool Hardik Dude ने कहा…

bilkul sahi kaha aapne... Agar Hindu Bhagwan Bharose rahega aur hahega ki Bhagwan aisa nahi hone denge.. bhagwan hamari raksha karenge.. to ye kayartapurn baat hogi.. Bhagwan Shree Krishna bhi kahete hai ki jo apni madad khud nahi karta uski bhagwan bhi madad [help] nahi karte.. Agar Ye Muslim ye soch kar bethe rahe hote ki Allah unki madad karega aur Islam Vyapak hoga to ye log kabke khatm ho chuke hote.. lekin In logo ne sangthit hokar, Akraman kar kar Islam ka Vyapak Prachar kiya.. Logo ko Islam ko Swikar karne Par Majboor kiya.. Tab Islam Faila.. Hamare Desh main Jain Dharm aur Budhh Dharma ke Vyapak Prachar se Ahinsa ka bolbala hua aur Hamare Hindu Raja is ke karan Kamjor hote gaye aur ye mlechchho ne Bhartvarsh par apna adhipatya sthapit kar liya.. lekin ab hume [Hinduo] ko hi Sangthit ho kar Iska Samana kar na hoga aur Hindu Sanskriti ko Fir Se Vyapak Rup se Sthapit Karna Hoga..